Bachpan

बेदांतों में इंसान की 100 साल उम्र लिखी गई है।  और इसे 4 खंडो में बांटा गया है धर्म ,  अर्थ ,  काम  और मोक्ष।

आज की पीढ़ी तो शायद सारा  जीवन पहले यानि धर्म पर ही समापत कर देती है।  जीवन के बारे में कहा जा सकता है की बनाने बाले ने गैस का सिलिंडर यानी जीवन तो 100 साल के लिए भरा है परन्तु कुछ तो इस सिलिंडर को 20 , 30 ,40 ,50 साल में ही जला कर समापत कर देते हैं।

 इतना सोचते हैं इतना करते हैं इतना पड़ते हैं जो 100 में प्राप्त किया जा सकता है उसे 20 ,30 ,50 साल की उम्र में पाना चाहते हैं।  सभी तरह के हथकंडे अपना कर रातों रात उपलब्धियां चाहते हैं ,

 नतीजा, सेहत ख़राब, माँ बाप , भाई बहन , रिश्ते नाते परेशान पशेमान।  सच को नकारते हैं  सभी  कुछ बदलते हैं परन्तु अपनी सोच अपने विचार नहीं बदलते हैं इस लिए दुखी ही रहते हैं।  सभी अपने जीवन के लिए खुद जिम्मेबार हैं आप चुनाओ करने के लिए आजाद हैं।  परन्तु जो चुन लिया उसके फल भोगने ही पड़ते हैं हैं फल आजाद नहीं हैं।  यह दुिनया पहले भी थी अब भी है और आगे भी रहेगी।  इसी लिए कृष्ण भगवन ने कहा है  जो हुआ अच्छा हुआ , जो हो रहा है अच्छा हो रहा है , जो होगा बह भी अच्छा होगा।  फिर चिन्ता ,किस बात की।

विचार नकारत्मक और सकारत्मक होते हैं।  हर इंसान, बस्तु, हालात में  अच्छा क्या ढूँढोगे तोमन और  अच्छे बनते जाओगे सुखी होते जाओगे।  दूसरों को प्रेरित करो दूसरों की प्रशंशा करो , आप को प्रशंशा मिलेगी।
दूसरी तरफ कुछ बुद्धिमान इंसान अपने जीवन रुपी सिलिंडर का सदुपयोग करके 120 ,130 या इससे भी ज्यादा साल चलाते हैं।  सिलिंडर के प्रयोग का तरीका तो इंसान के अपने पास हैं।

प्रार्थनाव  ध्यान यानि मेडिटेशन और धार्मिक ग्रंथो का मनन , अपने जीवन की खुद जिम्मेबारी लेना इंसान को सुख की रह पर ले जाते हैं।  अपने मन में सुविचार स्वस्थ विचार उच्च शक्तिशाली विचार इंसान को सेहतमंद बनाते हैं।  क्यूंकि सकारत्मक विचार शरीर को ऊर्जा देते हैं।  नकारत्मक विचार ऊर्जा विहीन बनाते हैं।

हर रोज अच्छा सकारत्मक पड़ना मन को शांत व् उच्च करता हैं।  नकारत्मक ख़बरें मन और शरीर को जर्जर कर देती हैं इस लिए अख़बार , टेलीविज़न व् नकारत्मक लोगों से बचना चाहिए।  इन सब का नियंत्रण आप के पास है।  जो हमेशा अपने दुखड़े रोते रहते हैं उनसे जितना  हो सके दूर रहना चाहिए।  हम दूसरों की सोच नहीं बदल सकते परन्तु अपनी सोच जरूर बदल सकते हैं।  कियूंकि सोच बदलने से इंसान का जीवन बदल जाता है।

अपने सलाहकार और साथी बही बनाओ जिनकी सोच व जीवन लक्ष्य आप के लक्ष्य से मेल खाता है।  दूसरों की प्रशंशा और मुस्कराहट से स्वागत दूसरों को आप के नजदीक लाता है।

इस लिए बचपन में बचपन जीने दो जब जवानी आये तो जवानी जीने दो।  केवल जिम्मेबार ज्ञान बान  माँ बाप ही ऐसा कर सकते हैं  जरूर देखें https://www.youtube.com/watch?v=UBxMa0wNGXQ

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